हनुमान जयंती का महत्व और इतिहास
भारतीय संस्कृति में हनुमान जयंती बहुत महत्वपूर्ण है। मैं इसे एक धार्मिक पर्व के रूप में देखता हूँ जो हमारी आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को भी उजागर करता है। भगवान हनुमान का जन्मदिन मनाया जाता है, जो उनकी भक्ति, शक्ति और बलिदान के लिए पूजनीय है। हनुमान जी को भगवान राम का सबसे प्रिय भक्त और अद्भुत योद्धा मानते हैं।
हनुमानजी का जीवन हमें साहस और निस्वार्थता का पाठ सिखाता है। विभिन्न हिंदू मान्यताओं में उनका जन्म किस दिन हुआ है। विभिन्न पुराणों में हनुमानजी का जन्म चैत्र पूर्णिमा के दिन हुआ है, लेकिन कुछ अन्य पुराणों में उनका जन्म कार्तिक मास में हुआ है। अक्सर मुझे लगता है कि धार्मिक ग्रंथों और जनमानस में आज का इतिहास गहराई से समाहित है।
हनुमान जयंती का महत्व
यह पर्व हमें आध्यात्मिक ऊर्जा को जगाने का अवसर भी देता है, साथ ही हमें जीवन के प्रति सेवा और समर्पण की भावना भी बढ़ाता है।
• प्रेम का प्रतीक: हनुमान जी को बहुत भक्तिपूर्ण व्यक्ति मानते हैं। उनकी निस्वार्थ सेवा भगवान राम के जीवन और राजधर्म में महत्वपूर्ण है।
• साहस और बल: हनुमानजी के चरित्र से प्रेरणा लेकर मैं जीवन में मुश्किलों का सामना करने का साहस पाता हूँ।
• सुरक्षात्मक भावना: हनुमान जी की पूजा करने से हम नकारात्मक ऊर्जा और पीड़ा से बच सकते हैं।
• धार्मिक जागरण: इस दिन पूजन करने से हमारी आत्मा निर्मल होती है और हमें अध्यात्म में प्रगाढ़ता मिलती है।
इस दिन का महत्व सिर्फ पूजा और व्रत नहीं है; यह हनुमान के जीवन में भगवान के आदर्शों को अपनाने और उनके संदेश को अपने जीवन में लागू करने का अवसर देता है।
हनुमान जयंती का इतिहास
हनुमान जी का जन्म पुराणों और हिंदू ग्रंथों में बताया गया है। इतिहास की इन कहानियों से मुझे यह समझने का मौका मिलता है कि वे केवली नहीं थे, बल्कि एक उदाहरणीय व्यक्तित्व थे।
• जन्म: हनुमान जी का जन्म माता अंजना और पिता केसरी के घर हुआ माना जाता है। उन्हें पवनदेव ने जन्म दिया, इसलिए उन्हें "पवनपुत्र" कहा जाता है।
• बाल्यकाल में हुई घटनाएं: हनुमानजी की बचपन की कहानियां न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि उनका चरित्र भी बताती हैं। सूर्य को एक फल मानकर उसे निगलने की कहानी मुझे उनकी साहसिकता और उत्सुकता से प्रेरित करती है।
• रामायण का महत्व: हनुमान जी ने भगवान राम की सेवा में बहुत कुछ किया है। लंका दहन और संजीवनी बूटी लाने की उनकी शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक हैं।
हनुमान जयंती मुझे बताती है कि धार्मिकता, भक्ति और निस्वार्थता हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण हैं। उन्हें याद करते हुए, मैं अपने जीवन में उनके मूल्यों को अपनाने का प्रयास करता हूँ।
हनुमान जयंती कब मनाई जाती है?
भारत में, हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मुझे गर्व है कि हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हालाँकि, कुछ स्थानों में कार्तिक महीने में भी इसे मनाया जाता है। यह भेद मुख्य रूप से दक्षिण और उत्तर भारत की परंपराओं में अंतर को दिखाता है। मुझे लगता है कि यह विविधता भारतीय संस्कृति की गहराई को दिखाती है।
हिंदू पंचांग के चंद्र कैलेंडर के अनुसार, हनुमान जयंती की तिथि हर साल बदलती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह अक्सर मार्च या अप्रैल में होता है। इस दिन लोग भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना करते हैं। मुझे लगता है कि यह दिन त्याग और भक्ति का प्रतीक है।
दक्षिण भारत में, जहाँ भगवान हनुमान को रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक माना जाता है, हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह (दिसंबर से जनवरी) में मनाई जाती है। इस क्षेत्रीय अंतर से स्पष्ट है कि भगवान हनुमान की उपासना अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं से मेल नहीं खाती है।
धार्मिक दृष्टिकोण से, हनुमान जयंती का दिन शक्ति और आत्मशुद्धि के लिए भी समय है। हम सभी को आज भगवान के अद्भुत शौर्य और उनके अडिग भक्ति के आदर्शों को याद करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।
हनुमान जयंती पूजा विधि की तैयारी
मैं हनुमान जयंती के दिन सही ढंग से पूजा करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तैयारियां करता हूँ। यह पूजा आपकी मनोकामनाएं पूरी करती है और आपको आध्यात्मिक शान्ति मिलती है।
पूजा सामग्री की व्यवस्था
सबसे पहले, मैं पूजा सामग्री की एक सूची बनाता हूँ ताकि कुछ भी छूट नहीं जाए। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
• पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी और शक्कर का एक मिश्रण
• फूलमाला: लाल फूल बहुत फायदेमंद हैं।
• चन्दन और अक्षत: चंदन के तिलक और अक्षत शुभ हैं।
• हनुमान का चित्र या मूर्ति: पूजास्थल पर लगाया जाता है।
• आग और दीपक: वातावरण को शुद्ध और प्रकाशमय बनाना महत्वपूर्ण है।
• नवेद्य या दान: हनुमान जी को प्रिय बेसन के लड्डू
• रामायण या सुंदरकांड: पाठ करने के लिए।
पूजा स्थल की स्वच्छता
पूजास्थल को मैं विशेष ध्यान देकर साफ करता हूँ। हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुद्ध स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। ध्यान केंद्रित करने के लिए एक शांत, पवित्र वातावरण बनाता हूँ। दीवारों पर दीपक और हल्की रोशनी डालने से सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
पूजा का समय निर्धारण
शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा का समय पहले से तय करता हूँ। सूर्योदय या ब्रह्म मुहूर्त का समय अधिक शुभ माना जाता है। इस समय पूजा करने से आत्मा शुद्ध होती है और भगवान की कृपा मिलती है।
मानसिक और शारीरिक तैयारी
हनुमान जयंती पर उपवास करके पूरी श्रद्धा से पूजा करना बहुत फायदेमंद होता है। मैं शांत हो जाता हूँ और हनुमान जी को पूरी तरह से समर्पित हो जाता हूँ। नकारात्मक विचारों को पूजा के दौरान दूर करने की मेरी कोशिश रहती है।
टिप: हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ पूजा के दौरान हमेशा करना चाहिए, ताकि हनुमान जी की कृपा मिल सके और जीवन में सुख-शांति मिले।
पूजा सामग्री की पूरी सूची
जब बात हनुमान जयंती की है, तो मुझे लगता है कि सभी सामग्री सही और पूरी होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि पूरी प्रक्रिया सही तरीके से की जा सकती है और इससे अच्छे परिणाम मिलते हैं। यहां हनुमान जयंती पूजा के लिए आवश्यक सामान की पूरी सूची है:
पूजा सामग्री:
• हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र: हनुमान की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखना चाहिए।
• चौकी: पूजा करने के लिए एक साफ और शुभ चौकी का प्रबंध करना आवश्यक है।
• लाल कपड़ा: चौकी पर बिछाने के लिए लाल कपड़ा, यह शुभता का प्रतीक है।
• रोली और चंदन: भगवान को तिलक करने के लिए आवश्यक।
• पुष्प और फूल माला: हनुमान जी को अर्पित करने के लिए ताजे फूलों की माला और पुष्प रखें।
• धुप और रोशनी: यह सामग्री सुगंधित वातावरण के लिए आवश्यक है।
• दीपक और घी: पूजा की शुरुआत दीप जलाकर करनी चाहिए। इसके लिए दीया और शुद्ध घी रखें।
• पंचामृत: दूध, दही, शहद, गंगाजल और चीनी से तैयार पंचामृत का उपयोग करें।
• प्रसाद: बूंदी, लड्डू या कोई अन्य मिठाई, हनुमान जी को अर्पित करने के लिए।
• आसन: पूजा करते समय मैं स्वयं के लिए आसन रखता हूं ताकि सही मनोभाव से पूजा की जा सके।
• सिंदूर: हनुमान जी को चढ़ाने के लिए, यह उनके प्रिय सामग्री में से एक है।
• केसर: पूजन सामग्री में केसर का भी उपयोग होता है।
• पानी का पात्र: शुद्ध जल का उपयोग पूजा प्रक्रिया में विशेष रूप से किया जाता है।
• रामायण या सुंदरकांड की किताब: पूजा के दौरान सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए यह आवश्यक है।
मुझे यह भी ध्यान रखना होता है कि ये सभी सामग्री अच्छी तरह से तैयार हों, ताकि पूजा विधि के दौरान किसी भी बाधा का सामना न करना पड़े।
हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना और सजावट
मैंने अनुभव किया है कि हनुमान जयंती पर मूर्ति की स्थापना और सजावट पूजा का एक महत्वपूर्ण चरण है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है। हनुमान जी की मूर्ति बनाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
मूर्ति स्थापना के नियम
• स्थान का चयन: मूर्ति स्थापना के लिए प्रतिष्ठित और स्वच्छ स्थान चुनना बहुत ज़रूरी है। इसे घर के पूजा कक्ष, मंदिर या किसी शांत स्थल पर रखा जा सकता है।
• आसन का उपयोग: मूर्ति को लकड़ी के पटरे या चौकी पर लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाकर रखा जाता है। यह धार्मिक ऊर्जा बढ़ाने में सहायक माना जाता है।
• पवित्रता का ध्यान: मूर्ति स्थापना से पहले स्थान और मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध करना आवश्यक है।
सजावट की विधि
मूर्ति की साज-सज्जा पूजा का वातावरण और भक्त की भक्ति को गहराई देता है।
• फूलों की टोपी: गुड़हल और गेंदे के फूल हनुमानजी को बहुत प्रिय हैं। इन फूलों की मालाओं से हमेशा उनकी मूर्ति को सजाता हूँ।
• चोला चढ़ाना: हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर और चमेली के तेल से चोला चढ़ाया जाता है। इससे उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
• दीपक एवं धूप: मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती का प्रयोग करते हुए वातावरण को पवित्र करें।
• आभूषण और वस्त्र: मूर्ति पर जनेऊ, मुकुट, गदा, और अन्य धार्मिक आभूषण पहनाए जाते हैं। साथ ही, उन्हें लाल या पीले वस्त्र पहनाना शुभ माना जाता है।
अन्य व्यवस्थाएं
मैंने देखा है कि मूर्ति के चारों ओर धार्मिक प्रतीकों और मंत्र लिखे हुए पताकाएं लगाकर सजावट को और भव्य बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, मूर्ति के पास रामचरितमानस या सुंदरकांड का पाठ रखने से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
सजावट पूरी करने के बाद ध्यान रखना चाहिए कि मूर्ति के समक्ष पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाए ताकि हनुमान जी की कृपा प्राप्त हो सके।
संकल्प और पूजा प्रारंभ करने की विधि
हनुमान जयंती पर पूजा का संकल्प लेना और इसे सही विधि से प्रारंभ करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। पूजा को आरंभ करने से पहले, मैं सुनिश्चित करता हूँ कि मन और शरीर दोनों शुद्ध हों। स्नान करने के बाद, मैं साफ वस्त्र धारण करता हूँ और पूजा स्थल को शुद्ध करता हूँ। यहाँ मैं पूरी विधि को क्रमबद्ध तरीके से साझा कर रहा हूँ:
संकल्प लेने की विधि
संकल्प वह मानसिक और मौखिक घोषणा है जो मैं भगवान हनुमान की पूजा के दौरान करता हूँ, जिससे मेरी पूजा का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
• दिशा का चयन: मैं सुनिश्चित करता हूँ कि पूजा स्थल पूर्व दिशा की ओर हो।
• आसन पर बैठना: कुशा या सफेद कपड़े के आसन का उपयोग करता हूँ।
• संकल्प मंत्र: हाथ में जल, चावल और पुष्प लेकर संकल्प मंत्र बोलता हूँ।
• उद्देश्य का निर्धारण: मैं अपनी पूजा का उद्देश्य भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करना और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करना तय करता हूँ।
पूजा प्रारंभ करने की विधि
संकल्प करने के बाद, मैं पूजा आरंभ करता हूँ।
• प्रकाश: मंदिर में दीपक जलाना नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालता है।
• शुद्धिकरण: पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़ककर दिव्यता बढ़ाता हूँ।
• हनुमान चालीसा का पठन: मैं पूरे मनोयोग से हनुमान चालीसा का पाठ करता हूँ।
• आरती करना और मंत्र जाप करना: मैं हनुमान की आरती करता हूँ और कुछ मंत्र बोलता हूँ, जैसे "ॐ श्री हनुमते नमः"।
• प्रसाद अर्पण: भगवान को लड्डू, तुलसी और जल अर्पित करता हूँ।
पूजा के बीच मैं यह ध्यान रखता हूँ कि मेरी मनःस्थिति पूरी तरह केंद्रित और शांत रहे। इससे मेरी भक्ति की गहराई बढ़ती है और मेरी संकल्पित प्रार्थना अधिक प्रभावी होती है।
हनुमान चालीसा और अन्य मंत्रों का पाठ
हनुमान जयंती पर पूजा-अर्चना में हनुमान चालीसा और अन्य मंत्रों का पाठ विशेष महत्व रखता है। जब मैं अपनी पूजा की तैयारी करता हूं, तो सबसे पहले जगह का शुद्धिकरण करता हूं। इसके बाद, मैं ध्यानपूर्वक अपने मन को शांत करता हूं और भगवान हनुमान की आराधना में मग्न हो जाता हूं। हनुमान चालीसा का पाठ एक ईश्वरीय अनुभव है जो मेरी आत्मा, मन और विचारों को शुद्ध करता है।
हनुमान चालीसा पाठ का महत्व
हनुमान चालीसा में भगवान हनुमान के चरित्र, शक्ति, और कृपा का विस्तार से वर्णन है। जब मैं इसे पढ़ता हूं, तो मुझे उनके अद्भुत कार्यों और उनके भक्तों के प्रति असीम प्रेम का एहसास होता है। इसके शब्द न केवल भगवान को समर्पित हैं बल्कि हमारे अंदर आत्मविश्वास और भक्ति की भावना भी जगाते हैं। मैं इसे शुद्ध मन और पूरी श्रद्धा से पढ़ता हूं ताकि उनकी कृपा हमेशा मुझ पर बनी रहे।
अन्य मंत्रों का पाठ
हनुमान चालीसा के साथ कई अन्य मंत्र भी हैं जिन्हें मैं अपनी पूजा में शामिल करता हूं। इनमें से कुछ मंत्र निम्न हैं:
अंजनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमान: प्रचोदयात। यह मंत्र ध्यान और ऊर्जा को केंद्रित करता है।
रामदूताय नमः। यह छोटा मंत्र भगवान राम के प्रति उनकी सेवाभाव को सम्मानित करता है।
पाठ करने की विधि
जब मैं पाठ करता हूं, तो विशेष रूप से इन बातों का ध्यान रखता हूं:
मैं धूप और दीप जलाकर पहले स्थान को पवित्र करता हूं।
हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने शांत भाव से बैठता हूँ।
पहले हनुमान चालीसा और फिर अन्य मंत्रों का शुद्ध उच्चारण से पाठ करता हूं।
मैं प्रत्येक मंत्र को उचित ध्यान और भावना के साथ दोहराता हूं।
इन मंत्रों का पाठ करने से मुझे मानसिक शांति, सकारात्मकता, और साहस प्राप्त होता है। साथ ही, मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान हनुमान स्वयं मेरी प्रार्थना सुन रहे हों।
आरती और प्रसाद का महत्व
आरती और प्रसाद का पूजा विधि में एक विशेष स्थान है। जब मैं हनुमान जयंती पर पूजा करता हूँ, तो आरती के माध्यम से प्रभु से अपनी भक्ति व्यक्त करने का प्रयास करता हूँ। आरती, जिसे दीप जलाकर और मंत्रों का उच्चारण करते हुए संपन्न किया जाता है, देवताओं के प्रति समर्पण का प्रतीक है। आरती से भक्त और देवता मन को शांति और ऊर्जा मिलती है जब वे एक आध्यात्मिक संबंध बनाते हैं।
आरती करते समय, मैं दीपक को भगवान हनुमान के समक्ष घुमाते हुए उनके प्रति अपनी श्रद्धा दर्शाता हूँ। यह प्रक्रिया न केवल पूजा को पूर्ण बनाती है, बल्कि वातावरण को शुद्धता और सकारात्मकता से भर देती है। आरती के दौरान गाए जाने वाले मंत्र और भजन हनुमान जी के गुणों का बखान करते हैं, जो मेरी भक्ति शक्ति को बढ़ाते हैं। और अधिक प्रबल करते हैं। इसके साथ ही, आरती मेरे ध्यान को भगवान पर केंद्रित रखने में सहायक होती है।
इसके बाद प्रसाद का वितरण और उसकी अहमियत आती है। मैं हमेशा प्रसाद को पूजा के बाद बांटने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानता हूँ। प्रसाद, चाहे वह फल, मिठाई या अन्य कोई शुद्ध आहार हो, उसे भगवान का आशीर्वाद समझा जाता है। इससे बीच में आने वाले गुरुत्वाकर्षण और भक्त का संबंध सुदृढ़ होता है। प्रसाद न केवल भक्तों के बीच अच्छाई और साझा करने की भावना को बढ़ावा देता है, बल्कि यह एक दिव्य अनुभूति का अनुभव भी प्रदान करता है।
आरती और प्रसाद का यह महत्व हर पूजा में मेरे लिए एक आत्मीय अनुभव बनाता है। इससे हनुमान जी की कृपा का अनुभव होता है और पूजा की पूर्णता को समझने में मदद मिलती है।
हनुमान जयंती पर पालन करने वाले आसान उपाय
हनुमान जयंती पर सरल उपायों का पालन करके मैं अपने जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि ला सकता हूँ। यह दिन भगवान हनुमान के प्रति मेरी श्रद्धा को प्रकट करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का अद्भुत अवसर है। मैं कुछ आसान और प्रभावी उपाय अपनाने की योजना बना सकता हूँ, जो पूरे दिन को शुभ और लाभदायक बना सकते हैं।
हनुमान जयंती के लिए विशेष उपाय:
1•हनुमान चालीसा का पाठ: मैं हनुमान चालीसा का पाठ पूरे श्रद्धा और विनम्रता के साथ कर सकता हूँ। इससे मेरी मानसिक शांति बढ़ेगी और हर बाधा दूर होगी।
2•सिंदूर का चढ़ावा: भगवान हनुमान को सिंदूर अर्पित करना शुभ माना जाता है। मैं मंदिर जाकर उन्हें सिंदूर चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता हूँ।
3•बजरंग बली को गुड़-चने का भोग लगाना: हनुमान जी को गुड़ और चना विशेष प्रिय हैं। मैंने तय किया है कि मैं उन्हें इस दिन गुड़-चने का भोग लगाऊँगा और बाद में इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करूँगा।
4•राम नाम का जप: हनुमान जी को रामभक्त माना जाता है। उनकी कृपा पाने के लिए मैं "राम-राम" का जप कर सकता हूँ। इससे मेरा ध्यान केंद्रित होने में मदद मिलेगी।
5•दान देना: जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन या अन्य ज़रूरी सामान दान करना मेरी प्राथमिकता होगी। इससे न केवल परोपकार का अनुभव होगा, बल्कि ईश्वर का आशीर्वाद भी मिलेगा।
6•पीपल के वृक्ष की पूजा: मैं इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करूँगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह भगवान विष्णु और हनुमान से जुड़ा होता है।
7•संकल्प लेना: मैं यह तय कर सकता हूँ कि इस हनुमान जयंती पर किसी बुरी आदत को छोड़ूँगा और सदाचार का पालन करूंगा।
विशेष ध्यान:
मैं इस शुभ दिन पर अपनी आस्था और पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान दूँगा। साथ ही, हनुमान जी को याद करते हुए अपने व्यवहार और सोच को सकारात्मक बनाऊँगा। ऐसे उपायों का पालन करके मैं न केवल उनकी कृपा प्राप्त कर सकूँगा, बल्कि अपने जीवन में आत्मविश्वास और हौसला बढ़ा सकूँगा।
हनुमान जयंती से जुड़ी खास बातें और मान्यताएं
हनुमान जयंती को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस दिन को भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जब मैं हनुमान जयंती के बारे में सोचता हूँ, तो उनकी निष्ठा, भक्ति और शक्ति का स्मरण करता हूँ, जो अनगिनत भक्तों के जीवन में प्रेरणा का स्रोत है।
हनुमान जयंती से जुड़ी मान्यताएं
• भगवान हनुमान का जन्म: ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा के दिन वानर राजा केसरी और माता अंजनी के पुत्र के रूप में हुआ था। उनके जन्म का उद्देश्य संसार से बुराई को समाप्त करना और श्रीराम की सहायता करना था।
• पूजा का समय: इस दिन सूर्योदय से पूर्व या भोर के समय हनुमान जी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मैं देखता हूँ कि मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्त उनकी आराधना करने के लिए एकत्र होते हैं।
• आध्यात्मिक महत्व: हनुमान जी का नाम लेने मात्र से भय, चिंता और बाधाएं दूर होने की मान्यता है। मुझे यह जान कर अच्छा लगता है कि संकट मोचन कहे जाने वाले हनुमान हर समय अपने भक्तों का साथ देते हैं।
• संकट से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी की पूजा से व्यक्ति सभी प्रकार के संकटों से मुक्त होकर सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।
हनुमान जयंती पर विशेष कार्य
• सुंदरकांड का पाठ: मैं अक्सर इस दिन सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह देता हूँ। यह पाठ भगवान हनुमान की भक्ति और शक्ति का वर्णन करता है।
• हनुमान चालीसा पाठ: करने से शक्ति, साहस और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
• वाद्य उपकरणों का प्रयोग: मंदिरों में भगवान हनुमान को ढोल, नगाड़े और घंटों से स्तुति दी जाती है। मैं इस माहौल से बहुत खुश हूँ।
हनुमान जी का जीवन का संदेश
मुझे लगता है कि भगवान हनुमान का जीवन समर्पण, धैर्य और भक्ति का संदेश देता है। यह दिन खुद को उनकी भक्ति में समर्पित करने और उनके गुणों को अपनाने का उत्तम समय है।

